नागपत्री एक रहस्य- 1
मैं आप लोगों के समक्ष एक नई कहानी लेकर आई हूं,
(नागपत्री एक रहस्य ) यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है, इस कहानी के पात्र के नाम या घटना अगर किसी से जुड़े हैं, तो वह सिर्फ एक संयोग ही होगा, इस कहानी का किसी से भी कोई लेना देना नहीं है, इसमें एक्शन रोमांच, हॉरर, सामाजिक,पौराणिक सभी तरह की घटनाएं होगी।
बाकी कहानी जानने के लिए आप पढ़ते रहिए;
"नागपत्री एक रहस्य"
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नागपत्री उन नाग कन्याओं का रहस्य है, जिनके विषय में उनकी माता को ही ज्ञात नहीं था, इन संपूर्ण सृष्टि के जन्मदाता आदिश्वर शिव, जिन्हें कहीं भोलेनाथ, सृष्टिकर्ता तो कहीं भक्ति पूर्वक महाकाल, महादेव के नाम से भी पुकारा जाता हैं।
जिनकी पांच पुत्रियां है.....
देव,
जया,
दोतलि,
विषहर,
शामिलबाटी।
जिनके जन्म की कथा अत्यंत ही निराली है, ऐसा कहा जाता है कि, इनका जन्म भगवान शिव की मंद मुस्कान और मनः शक्ति से हुआ, जिनसे मिलने वे ब्रह्म मुहूर्त में जाया करते थे,
और माता पार्वती ने भगवान शिव का पीछा कर जब जाकर देखा, तब कहीं उन्हें इस बात का पता चला।
नाग पंचमी के समय इन्हीं पांच पुत्रियों के साथ भगवान शिव का पूजन किया जाता है, ये इन नाग देवियों के द्वारा एक भक्तों की सेवा से प्रसन्न होकर उस पत्री को लिखा गया, जिसके विषय में बहुत कम लोगों को ही ज्ञान हैं,
नागपत्री वह रहस्य है, जिसका विचार भी कर पाना ठीक उसी तरह दुर्लभ है, जिस तरह महा सप्तशती के पाठ का अंतिम श्लोक, जिसका पठन और पाठन बिना शिवकृपा के नहीं हो सकता, यह नागपत्री स्वर्ण ताम्रपत्र पर लिखी हुई वह कृति है, जिसमें संसार के संपूर्ण रहस्य छिपे हैं,
ब्रह्मांड की उत्पत्ति से लेकर विनाश तक सारा ज्ञान इसमें छिपा हुआ है।
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घुड़सवारी बेशक उसका सपना था, लेकिन आज तक किसी भी घोड़े ने उसे सवारी करने का मौका ही न दिया, उसके शौक को पूरा करने के लिए पिता दिनकर ने अनेकों घुड़सवारों को तैयार किया, कि वह अपनी बेटी का शौक पूरा कर सके।
लेकिन ना जाने क्यों, जैसे ही घोड़ा लक्षणा के समक्ष आता अचानक बिचक जाता, और खुद घुड़सवार के काबू से बाहर हो जाता,
लेकिन दिनकर जी भी बिटिया के जिद के सामने मजबूर थे, और एक दफा वह अपनी बेटी को लेकर सीधे अस्तबल ही पहुंच गए, लेकिन यह क्या.... लक्षणा के अस्तबल में पैर रखते ही घोड़ों ने तेज आवाज के साथ हलचल मचा दी, और ऐसा लगा ,जैसे बस वे घोड़े बाड़ा तोड़कर भाग ही जाएंगे।
ऐसी विषम परिस्थितियां देख अस्तबल के मालिक ने दिनकर जी से माफी मांग, सिर्फ इतना कहा दिनकर जी माफ करिए, लेकिन शायद कुछ और समस्या है, मैं आपसे विनती करूंगा कि यदि आप वाकई अपनी बेटी को घुड़सवारी करते हुए देखना चाहते हैं, तो आपको आचार्य चित्रसेन जी से एक बार मिल लेना चाहिए।
दिनकर जी ने आश्चर्य से पूछा...आचार्य चित्रसेन जी????
आखिर क्यों???? और कौन है यह ????कहां मिलेंगे???
तब अस्तबल का मालिक मुस्कुरा कर कहने लगा, आप इस शहर में नए है, इसलिए नहीं जानते,
किसी से भी मां मनसा देवी के मंदिर का पता पूछ लीजिए, और वहां जाकर आचार्य चित्रसेन जी से मिलिए, वे शायद आपकी इच्छा पूरी कर सकते हैं, यह कहते हुए उन्होंने दोनों हाथ जोड़कर, समझ ना आया कि दिनकर जी से माफी मांगी थी, या लक्षणा को प्रणाम किया।
दिनकर जी आश्चर्यचकित थे, कि आखिर ऐसी क्या बात है जो मेरी बेटी महज एक घुड़सवारी का शौक पूरा नहीं कर सकती, अब उनके मन में धीरे-धीरे जिज्ञासा और भय का भी समावेश होने लगा था, जिस को शांत करने के लिए उन्होंने बिना देरी किए, अपने सारे अपॉइंटमेंट कैंसिल कर तुरंत ही मां मनसा देवी के मंदिर की ओर रुख किया।
उनके चेहरे पर अनेकों सवाल उठते हुए साफ नजर आ रहे थे, वे रह रह कर अपनी ही बेटी लक्षणा को बड़ी गौर से देख रहे थे, जैसे बरसों बाद उन्होंने अपनी बेटी को देखा हो।
इतनी सुंदर प्यारी बच्ची जो सबसे अलग, सिर्फ अपनी नीली आंखों के कारण सभी शिक्षकों की लाडली रही,उसके घुंघराले बाल और मंद मुस्कान के साथ नीली आंखों के कारण वह किसी गुड़िया से कम नहीं लगती।
एक दफा तो ऐसा हुआ कि नए प्रिंसिपल के आने पर शिक्षकों ने लक्षणा को एक जीवंत गुड़िया के रूप में पेश किया, और प्रिंसिपल पहचान भी ना सके कि वह पुतला है या लड़की, लेकिन जैसे ही थोड़ी हरकत हुई तब वे घबराकर समझ गए कि उनके साथ मजाक किया गया है।
सब कुछ तो ठीक है, फिर क्यों आखिर मैं अपनी इकलौती बेटी की एकमात्र इच्छा को पूरा नहीं कर पाता???? क्यों इसे देखकर घोड़े बिचक जाते हैं???
यहां तक कि उसके जन्म से पहले, पाली हुई पालतू बिल्ली भी जब लक्षणा गर्भ में ही थी, घर छोड़कर भाग गई थी, जिसे दिनकर जी ने इत्तेफाक ही माना था।
लेकिन आज दिनकर जी के दिमाग में रह-रहकर एक एक बातें लक्षणा के जन्म से लेकर आज तक सबकुछ घूम घूमकर सामने आ रहा है,
अचानक उन्होंने पूछ लिया..... लक्षणा तुम्हें याद है, पिछले साल हम घूमने गए थे, तब वह हाथी भी तुम्हें देखकर अचानक पीछे हट गया था, और महावत ने तुम्हें इनकार कर दिया था बैठाने से.... आखिर क्या बात है????
तब लक्षणा कहती है, मुझे क्या पता डैड??? मैं हूं तो आपकी ही बेटी, कोई एलियन तो नहीं, जो कोई मुझे देख कर डर जाए, लेकिन अब तो मुझे भी जानना है, बहुत हो गया, अब चाहे जैसे भी हो, मुझे घुड़सवारी करना है ,और फिर मैं करके ही रहूंगी।
कोई तो घोड़ा होगा??? भलई मैं स्पेशल सही, हां स्पेशल लक्षणा का स्पेशल घोड़ा, कहकर वह मुस्कुराने लगी,
लेकिन कहीं ना कहीं अब उसे भी खुद को लेकर चिंता होने लगी, वे पता पूछते पूछते उन्होंने मां मनसा देवी के मंदिर प्रांगण में कदम रखा ही था, कि अचानक जैसे हवाओं ने अपना रुख बदल दिया,
हवाएं विपरीत दिशा में बहने लगी, अचानक सारा मौसम बदलने लगा, यहां तक की हवा का इतना तेज झोंका हुआ, कि मंदिर के सामने का घंटा जिसे बड़ी मुश्किल से ही कोई बजा पाता था, इतनी तेजी से हिला की घंटी की तेज आवाज से सारे मंदिर के माहौल को जैसे एक अलग ही वातावरण में परिवर्तित कर दिया।
दिनकर जी और लक्षणा के लिए यह भी कौतूहल का विषय था, लक्षणा और दिनकर जी समझ नहीं पा रहे थे, कि आखिर मंदिर प्रांगण में कदम रखते ही मंदिर की हवाओं का रुख क्यों बदल गया???? और यह घंटा जोर जोर से क्यों बजने लगा????
दिनकर जी के मन में आश्चर्य के साथ-साथ डर भी था, लेकिन वे लक्षणा के सामने दिखा नहीं रहे थे, और लक्षणा भी इन सब चीजों से अनजान थी ,और वह दिनकर जी से कहने लगी कि डैड अचानक यह सब, ऐसा क्यों हो रहा है????
तब दिनकर जी , लक्षणा से कहते हैं, कि यह तो मेरी भी समझ में नहीं आ रहा है, लेकिन अस्तबल के मालिक ने हमें आचार्य चित्रसेन जी से मिलने के लिए कहा है, तो हम सबसे पहले आचार्य चित्रसेन जी से मिलते शायद वही इन सब बातों का रहस्य हमें बता पाएंगे!
आखिर आचार्य चित्रसेन जी कौन है????
और लक्षणा का क्या राज है ?????सारे जानवर लक्षणा को देख कर भाग क्यों जाते हैं ????
क्रमशः........
RISHITA
02-Sep-2023 09:44 AM
Nice one
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madhura
01-Sep-2023 10:44 AM
V nice
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Anjali korde
29-Aug-2023 11:04 AM
Very nice
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